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मंगलवार, 16 जनवरी 2018

राकेश शर्मा (प्रथम भारतीय अंतरिक्ष यात्री)

                       राकेश शर्मा





पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा


राकेश शर्मा, सोवियत संघ के हीरो भारतीय वायु सेना के पायलट थे जिन्होंने 3 अप्रैल 1984 को लॉन्च हुए सोयुज टी-11 को इंटेरकॉस्मोस प्रोग्राम के तहत उड़ाया था। अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले शर्मा पहले भारतीय थे।
13 जनवरी 1949 को भारत के पंजाब प्रान्त के पटियाला में राकेश शर्मा का जन्म हुआ था। सेंट जॉर्जेस ग्रामर स्कूल, हैदराबाद से उन्होंने प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की थी और निज़ाम कॉलेज से वे ग्रेजुएट हुए थे। 35 वे राष्ट्रिय सुरक्षा अकादमी में राकेश शर्मा 1970 में भारतीय वायुसेना में टेस्ट पायलट के रूप में दाखिल हुए थे। 1971 से उन्होंने को एयरक्राफ्ट में उड़ान भरी थी। उनकी कौशल को देखते हुए 1984 में उन्हें भारतीय वायु सेना के स्कवार्डन लीडर और पायलट के पद पर नियुक्त किया गया था।
12 सितम्बर 1982 को सोवियत इंटरकॉसमॉस स्पेस प्रोग्राम और इसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन) की तरफ से वे अंतरिक्ष जाने वाले समूह के सदस्य बने।
विंग कमांडर के पद पर रहते हुए वे सेवनिरवृत्त हुए थे। 1987 में वे हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड में ज्वाइन हुए और 1992 तक HAL नाशिक डिवीज़न में चीफ टेस्ट पायलट के पद पर रहते हुए सेवा की। बाद में HAL के चीफ टेस्ट पायलट पर रहते हुए ही उनका ट्रान्सफर बैंगलोर में किया गया। वे लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस से भी जुड़े हुए थे।

स्पेसफ्लाइट


1984 में अंतरिक्ष में जाने वाले वे पहले भारतीय इंसान बने, अंतरिक्ष जाने के लिए उन्होंने सोवियत रॉकेट सोयुज टी-11 से उड़ान भरी थी, जिसे 2 अप्रैल 1984 को बैकोनूर कॉस्मोड्रो मे, कजाख से छोड़ा गया था। वे अंतरिक्ष में 7 दीन 21 घंटे और 40 मिनट तक रहे थे। इस दौरान उन्होंने कई वैज्ञानिक और तांत्रिक प्रयोग किये जिनमे 43 एक्सपेरिमेंटल सेशन भी शामिल है। उनका ज्यादातर कार्य बायो-मेडिसिन और रिमोट सेंसिंग के क्षेत्र में ही रहा है।
उनके क्रू ने जॉइंट टेलीविज़न पर पहले मास्को ऑफिसियल और फिर भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से कांफ्रेंस भी की थी। जब इंदिरा गांधी ने पूछा था की अंतरिक्ष से हमारा भारत कैसा दिखाई देता है तो राकेश शर्मा ने जवाब दिया था, सारे जहाँ से अच्छा। उस समय किसी इंसान को अंतरिक्ष में भेजने वाला भारत 14 वा देश बना था।


अवार्ड –


अंतरिक्ष से लौटने के बाद उन्होंने उन्हें हीरो ऑफ़ सोवियत संघ के पद से सम्मानित किया गया था। भारत सरकार ने भी उन्हें अपने सर्वोच्च अवार्ड (शांति के समय में) अशोक चक्र से सम्मानित किया था, अशोक चक्र सोवियत संघ के दो और सदस्य मलयशेव और स्ट्रेकलोव को भी दिया गया था, जो राकेश शर्मा के साथ ही अंतरिक्ष में गए थे।


वैयक्तिक जीवन

1982 में वे जब रशिया रह रहे थे तब उन्होंने और उनकी पत्नी मधु ने रशिया भाषा भी सीखी थी। उनका बेटा कपिल फ़िल्म डायरेक्टर है ओट बेटी कृतिका मीडिया आर्टिस्ट है।


अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा की कुछ रोचक बाते


1. Rakesh Sharma ऐसे पहले इंसान थे जिन्होंने अंतरिक्ष में रशियन को भारतीय खाना खिलाया था –

डिफेन्स फ़ूड रिसर्च लेबोरेटरी ने सूजी हलवा, आलू छोले और सब्जी पुलाव शर्मा को अंतरिक्ष जाते समय दिया था।
2. अंतरिक्ष में होने वाली बीमारियो से बचने के लिए वे योगा करते थे –
1984 में “शून्य गुरुत्वाकर्षण योगा” का अभ्यास शर्मा ने किया था और उनके इस प्रयास की रोकॉस्मोस ने काफी तारीफ भी की थी। 2009 की कांफ्रेंस में शर्मा ने अंतरिक्ष में जाने वाले यात्रियों को सलाह भी दी थी की वे अंतरिक्ष में जाने से पहले वहाँ की बीमारियो से बचने के लिए योग अभ्यास करे।
3. Rakesh Sharma को भारत के सर्वोच्च अवार्ड अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था –
शांति काल के सर्वोच्च पुरस्कार अशोक चक्र से राकेश शर्मा और उनके दो रशियन साथियो को भी सम्मानित किया गया था। यह पहला और अंतिम मौका था जब किसी विदेशी नागरिक को अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।
4. उन्होंने इंदिरा गांधी के प्रश्न का सबसे उचित जवाब दिया था –
उस समय की भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब राकेश शर्मा से पूछा की अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखाई देता है तब जन्होंने बड़े ही गर्व से कहा था, सारे जहाँ से अच्छा।
5. राकेश शर्मा को हीरो ऑफ़ सोवियत संघ के नाम से जाना जाने लगा –
अंतरिक्ष से वापिस आने के बाद शर्मा ने भारत के इतिहास में एक और सुनहरा पन्ना जोड़ दिया था। उनके कार्यो को देखते हुए रशियन सरकार ने उन्हें हीरो ऑफ़ सोवियत संघ की उपाधि से सम्मानित किया था।
6. 2014 में 65 साल की आयु में राकेश शर्मा को अंतरिक्ष यात्रा करने का एक और मौका चाहिए था –
65 की उम्र होने के बाद भी उनके अंदर का जज्बा अभी मरा नही था, वे एक और बार अंतरिक्ष की यात्रा करना चाहते थे।
7. पाँच साल की उम्र से ही जेट उड़ाने की उनकी इच्छा थी –
शर्मा बचपन से ही जेट उड़ान चाहते थे और युवा होने के बाद उनका यह सपना पूरा भी हुआ।
राकेश शर्मा बचपन से ही जेट उड़ान चाहते थे और युवा होने के बाद उनका यह सपना पूरा भी हुआ। एक वायूसेना के पायलट के तौर पर अपनी नौकरी करते हुए राकेश शर्मा ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उनका सफर भारतीय वायूसेना से अंतरिक्ष तक पहुंच जाएगा। अपने सफर को याद करते हुए शर्मा ने एक बार कहा था कि मैंने बचपन से पायलट बनने का सपना देखा था, जब मैं पायलट बन गया तो सोचा सपना पूरा हो गया।
उनके अथक प्रयासों और अटूट महेनत के बल पर ही उन्होंने 8 दीनो का अंतरिक्ष सफ़र तय किया था और पूरी दुनिया को बता दिया था की यदि दिल से किसी सपने को पूरा करने की ठाने तो कुछ भी असंभव नही।
भारत के लिए राकेश शर्मा किसी कोहिनूर से कम नही थे, भारतवासी उनके अतुल्य योगदान को हमेशा याद रखेंगे।

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