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मंगलवार, 16 जनवरी 2018

कैलाश सत्यार्थी ( नोबेल पुरस्कार विजेता)

                           कैलाश सत्यार्थी





कैलाश सत्यार्थी का जन्म 11 जनवरी 1954 को मध्यप्रदेश के विदिशा में हुआ था | उनका पुश्तैनी घर विदिशा के काजीगली नन्दर किला में है | कैलाश सत्यार्थी बचपन से ही दुसरो के प्रति बेहद सहयोगी रहे है | जब वे केवल 11 साल के थे तब उन्होंने महसूस किया कि बहुत से बच्चे किताब न होने के कारण पढाई से वंचित रह जाते है इसलिए उन्होंने एक ठेला लिया और निकल पड़े कबाड़ी की तरह पुरानी किताबे इकट्ठा करने “फटी पुरानी किताबे दे दो किताबे”
गलियों में आवाज लगा रहे थे तभी उनके किसी जानकार ने पुकार लिया “अरे भाई कैलाश तुम्हारे इतने बुरे दिन आ गये कि कबाड़ी का काम करने लगे” | कैलाश ने कहा “नही ऐसी कोई बात नही दिन तो मेरे बहुत अच्छे है ” | जानकार ने कहा “तो फिर कबाड़ी वाला काम क्यों कर रहे हो ?” |  कैलाश ने बताया कि ये कबाड़ी से पुरानी किताबे इकट्ठा करके गरीब बच्चों को बाँट देगा | कैलाश सत्यार्थी बचपन से ही संतोष और आत्मिक शान्ति से पेट भरने में विश्वास करते थे |
कैलाश सत्यार्थी अपने चार भाइयो में सबसे छोटे है | पिता रामप्रसाद पुलिस की नौकरी करते थे और माता चिरोंजीबाई गृहिणी थी | सबसे बड़े भाई चन्द्रभान शर्मा शिक्षा विभाग में थे और DEO के पद से सेवानिवृत हुए थे | पहले परिवार की जिम्मेदारी उन पर ही थे | बाद में जगमोहन माधवगंज में व्यवसाय करने लगे | इसके बाद तीसरे भाई नरेंद्र शर्मा शिक्षक है | बच्चों का खोया हुआ बचपन लौटाने के लिए ही उन्होंने बचपन बचाओ आन्दोलन की शुरुवात की |
बचपन बचाओ आन्दोलन भारत में एक क्रांतिकारी आन्दोलन है जो बच्चो के हित और अधिकारों के लिए कार्य करता है | वर्ष 1980 में बचपन बचाओ आन्दोलन की शुरुवात कैलाश सत्यार्थी ने की थी जो अब तक 80 हजार से अधिक मासूमो के जीवन को तबाह होने से बचा चुके है | बाल मजदूरी कुप्रथा भारत में सैंकड़ो सालो से चली आ रही है | कैलाश सत्यार्थी ने इन बच्चो को इस अभिशाप से मुक्ति दिलाना ही अपनी जिन्दगी का मकसद बना लिया |
बाल मित्र ग्राम वह मॉडल गाँव है जो बाल शोषण से पुरी तरह मुक्त है और यहा बाल अधिकार को तरजीह दी जाती है | 2001 में इस मॉडल को अपनाने के बाद देश के 11 राज्यों के 356 गाँव अब तक Child Friendly Village घोषित किये जा चुके है | हालांकि कैलाश सत्यार्थी का अधिकाश कार्य राजस्थान , बिहार और झारखंड के गाँवों में होता है | इन गाँवों में बच्चे स्कूल जाते है बाल पंचायत युवा मंडल और महिला मंडल शामिल होते है और समय समय पर ग्राम पंचायत से बाल समस्याओ के संबध में बाते करते है |
“बचपन बचाओ आन्दोलन” में बाल मित्र में 14 साल के सभी बच्चो को मुफ्त , व्यापक और स्तरीय शिक्षा के साथ की लडकिया स्कूल न छोड़े इसलिए स्कूलों में आधारभुत सुविधाए मौजूद हो यह सुनिश्चित करती है | कैलाश सत्यार्थी के अनुसार बाल मजदूरी महज एक बीमारी नही है बल्कि बीमारियों की जड़ है इसके कारण जिन्दगिया तबाह हो जाती है | सत्यार्थी जब रास्ते में आते-जाते बच्चो को काम करता देखते तो उन्हें बैचैनी होने लगती थी | तब उन्होंने नौकरी छोड़ दी और 1980 में बचपन बचाओ आन्दोलन की नींव रखकर बच्चों का भविष्य संवारने के लिए अपना सर्वस्व समर्पण कर दिया |
बचपन बचाओ आन्दोलन आज भारत के 15 प्रदेशो के 200 से अधिक जिलो में सक्रिय है | इसमें लगभग 70 हजार स्वयंसेवक है जो लगातार मासूमो क जीवन में खुशिया भरने के लिए कार्यरत है | आजकल तो दुनिया के 100 से अधिक देशो में भी फ़ैल चूका है | एक आंकलन के मुताबिक साल 2013 में मानव तस्करी के 1199 मुकदमे दर्ज हुए थे जिनमे से 10 प्रतिशत मामले बचपन बचाओ आन्दोलन के प्रयासों से दर्ज किये गये थे |
कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi) ने न केवल बच्चों को मुक्त कराया बल्कि बाल मजदूरी को खत्म करने के लिए मजबूत कानून बनाने की जोरदार मांग की | 1983 में 103 देशो से गुजरने वाली बाल श्रम विरोधी विश्व यात्रा का आयोजन और नेतृत्व भी कैलाश जी ने किया | बचपन बचाओ आन्दोलन सामान्य तरीके से भी बच्चो को मुक्त कराते है और छापेमारी द्वारा भी | यह संस्था बच्चो को कानूनी प्रक्रिया द्वारा छुड़ाती है और उन्हें पुनर्वास भी दिलाती है | इसके साथ दोषियों को सजा भी दिलाती है | जिन बच्चो के माता-पिता नही होते उन्हें इस संस्था द्वरा चलाए जाने वाले आश्रम में भेज दिया जाता है |
कैलाश सत्यार्थी बचपन बचाओ के साथ ही भोपाल गैस त्रासदी के पीडितो के लिए भी आन्दोलन करते रहे है | कैलाश सत्यार्थी बच्चों के लिए काम करने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था Intrenational Center on Child Labour and Education से भी जुड़े हुए है | कैलाश सत्यार्थी इस आन्दोलन को वैश्विक स्तर पर ले जाने के लिए जाने जाते है  इसी कारण कैलाश सत्यार्थी को विश्व के सबसे बड़े पुरुस्कार नोबेल पुरुस्कार से सम्मानित किया गया |


कैलाश सत्यार्थी के अवार्ड्स और सम्मान 

2015 : हॉवर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा “साल का सर्वश्रेष्ट परोपकारी का सम्मान”.
2015 : अमित यूनिवर्सिटी, गुरगाव द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि.
2014 : नोबेल शांति पुरस्कार
2009 : लोकशाही का सर्रथक पुरस्कार (डिफेंडर ऑफ़ डेमोक्रेसी अवार्ड US)
2008 : अल्फोन्सो कामिन इंटरनेशनल अवार्ड (स्पेन)
2007 : इटालियन राज्यसभा का गोल्ड मेडल
2007 : US स्टेट डिपार्टमेंट द्वारा हीरो का सम्मान.
2006 : आज़ादी पुरस्कार (फ्रीडम अवार्ड, US)
1999 : फ्राइडरिच एबर्ट स्तिफ्टउंग अवार्ड (जर्मनी)
1998 : गोल्डन फ्लैग अवार्ड (नीदरलैंड)
1995 : रोबर्ट एफ. कैनेडी ह्यूमन राईट अवार्ड (US)
1995 : द ट्रम्पटर अवार्ड (US)
1994 : द आचेनेर इंटरनेशनल पीस अवार्ड (जर्मनी)
1993 : एलेक्टेड अशोका फेलो (US)

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