सम्राट् प्रथ्वीराज चौहान तृतीय
यह चौहान वंश का अंतिम व् सबसे महत्वपूर्ण प्रतापी सुप्रशिद्द सम्राट् था।
परिचय
- जन्म- 1166AD में हुआ,
- पिता का नाम -"सोमेश्वर चौहान"
- माता का नाम-"कपूरी देवी"
- पत्नी व् प्रेमिका-"संयोगिता"
- मित्र व् आस्रित राजकवी-चंदरबरदाई
- शासनकाल-1177AD से 1192AD
शासनकाल
जब प्रथ्वीराज का राज्याभिषेक हुआ तब ये अवयस्क था ,तब इसकी माता ने एक मंत्री केम्बस् को इसके सहायता हेतु रखा।
1180ad में इसने शासन की बागडोर अपने हाथो में ली।
चंदेलों पर विजय
1182 में इसने चंदेल वंश के राजा प्रमद्रीदेव को पराजित कर उसकी राजधानी"महोबा"पर अधिकार कर लिया। और इसके सेनापति ""आल्हा व् ऊदल"" मारे गए।
चालुक्यों पर विजय
सन् 1184 में गुजरात के चालुक्य शासक भीमदेव दिव्तीय की सेना व् प्रथ्वीराज की सेना के बीच ""नागौर का युद्ध"" हुआ,जिसमे दोनों पक्षों में संधि हो गयी।
कनौज
इस वक्त कनौज का शासक ""जयचंद""था, पृथवीराज चौहान ने उसकी पुत्री संयोगिता को सव्यमर से उठा कर ले गया,जिस कारन जयचंद ने तराइन के प्रशिद् युद्ध में सहायता नही की।
तराइन का प्रथम युद्ध(1191AD)
यह युद्ध मुह्ममद् गोरी व् प्रथवीराज चौहान के बीच आज के हिरयाणा के "करनाल व् थानेश्वर" के बीच हुआ।जिसमे प्रथ्वीराज चौहान के पुत्र व् दिल्ली के गवर्नर "गोविन्दराज" ने गोरी को घायल कर दिया,और घायल गोरी युद्ध भूमि से भाग गया, इस तरह यह युद्ध प्रथवीराज जीत गया।
तराइन दिव्तीय युद्ध(1192AD)
पूर्व युद्ध के चौहान निश्चिंत हो गया और फिर एक साल बाद 1192AD में एक बार फिर गौरी आ फिर पहुँचा, और अबकी बार वह हर प्रकार से युद्ध लड़ा और युद्ध जीत गया।
तराइन के युद्ध के बाद चौहान सक्ति का दिल्ली व् अजमेर से पतन हो गया ।
इसके बाद प्रथ्वीराज चौहान 3 का पुत्र गोविन्दराज रणथंभोर चला गया और वहा पे उसने चौहान वंश की नीव राखी।
प्रथ्वीराज चौहान ।।। की मौत
(1)अबुल फजल
इसके अनुसार चौहान को अजमेर में कैदी के रूप में लाया गया,जहा पे सुल्तान के विरुद्ध षड्यंत्र रचने के आरोप में चौहान की हत्या कर दी।
(2)प्रथ्वीराज रासो के अनुसार
इसके अनुसार चौहान व् उसके मित्र को गजनी ले जाया गया,जहा पे प्रथवीराज की गरम सलाखों से आखे फोड़ दी, तब किसी ने सुल्तान को बताया की वह शब्द् भेदी बाण चला सकता है,
तब सुल्तान ने एक सभा में बुलाई ताकि उसके बारे में देख सके,सभा में चौहान व् चंदरबरदाई आये,तो चौहान को तीर व् बाण दिए गए व अपनी योग्यता बताने को कहा
तब चंदरबरदाई ने चौहान से कहा की ""चार बास चोबीश गज,अंगुल अष्ट प्रमाण।ता ऊपर सुल्तान है, मत चुके चौहान।।
इसके बाद सबदबेदि बाण से चौहान ने गोरी को मार दिया त था चौहान व् चंदरबरदाई ने एक दूसरी कटार घोपकर हत्या क्र दी।
अन्य
यज अंतिम हिन्दू सम्राट था जिसके बाद मुस्लिम सत्ता का भारत में प्रवेश हुआ और कई सालो तक राज किया। इसके बाद कोई भी हिन्दू सम्राट नही पैदा हुआ।
प्रथ्वीराज के दरबार में "जयानक भट्ट, विद्यापति गोड्डा,प्रतिविभट्ट,बगीश्वर,जनार्दन,चंदरबरदाई,"" महत्वपूर्ण विद्वान थे।।
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