राजा हम्मीर देव चौहान
राजा हम्मीर देव -चौहान वंश की रणथंभोर शाखा के थे,इस रणथंभोर के चौहान वंश की नीव पृथवीराज तृतीय के पुत्र गोविन्दराज ने 1194 में कुतुबुद्दीन ऐबक की सहायता से की थी।
राजा हम्मीर देव,जैत्रसिंह चौहान के तीसरे पुत्र थे व् इनकी माता का नाम हीरा देवी था।यह 1282 AD में रणथंभोर की गद्दी पर बैठा। इनकी पत्नी का नाम "महारानी हीरादेवी" त था पुत्री का नाम "देवल दे" था।
राजा हम्मीर देव चौहान ने अपने पिता की याद में 32 खम्बों की छतरी बनवाई
हम्मीर के बारे में जानकारी हमे--
(1) नयनचंद्र सूरी द्वारा रचित 'हम्मीर महाकाव्य'
(2)जोधराज कृत 'हम्मीर रासो'
(3)चंद्रशेखर कृत'हम्मीर हठ' आदि में मिलती है।
हम्मीर ने गद्दी सभालते ही सबसे पहले भामरस के राजा अर्जुन को हराया और फिर दक्षिण में परमार शाशक भोज को हराया और फिर बहुत सारी विजयो के उपरांत वह रणथंभोर गया और नो कोटि का यज्ञ कराया।
थोड़े समय के उपरांत ही हम्मीर देव ने अपना राज्य शिवपुरी(ग्वालियर),बलबन(कोटा),
और शाकम्भरी तक कर लिया।
राजा हम्मीर देव और दिल्ली सुल्तान जलालुदीन खिलजी
1290 में जलालुद्दीन दिल्ली की गद्दी पर बेठा और उसने अपने राज्य की रक्षा हेतु 1290 में रणथंभोर की ओर आ गया। तब हम्मीर ने 10,000 सैनिको के साथ मुस्लिम सेना का मुकाबला करने के लिए सेनापति गुरुदास सैनी को भेजा परंतु उनकी हार हुई और मुस्लिम सेना ने झाइन के दुर्ग पर कब्ज़ा कर लिया।
इससे जलालुद्दीन का साहस बड गया और उसने रणथंभोर दुर्ग पर घेरा डाल दिया और जितने के समस्त प्रयास किये परंतु असफल रहा और सेना को वापस लौटने को कहा तथा यह कहा की में"ऐसे 10 किलो को मुसलमान के एक बाल के बराबर भी महत्व नही देता" उसके जाते ही हम्मीर सेना ने वापस झाइन के दुर्ग पर वापस अधिकार कर लिया।
हम्मीर देव और अलाउद्दीन खिलजी
1296AD में अलाउद्दीन दिल्ली की गद्दी पर बेठा ,उसने 1299 में गुजरात पर आक्रमण किया और विजय के बाद वापस लोट रही मुस्लिम सेना ने माल बटवारे के लिए मंगोल सैनिको के विद्रोह कर दिया,जिसमे मुख्य नेता 'मुहम्मदसाह व् केबरू' थे,जो इस विद्रोह के अलाउद्दीन सेनापत्यो के दमन के बाद ये हम्मीर की शरण में चले गए।जब अलाउद्दीन ने हम्मीर से इन्हें वापस लौटाने को कहा तो हम्मीर ने मना कर दिया ,जिस कारन अलाउद्दीन खिलजी ने रणथंभोर पर आक्रमण करने का मन क्रर लिया।
1299AD में अलाउद्दीन खिलजी ने नुसरत ख़ाँ अलप खा और उलगु खा के नेतृत्व में एक बड़ी सेना रणथंभोर पर आक्रमण हेतु भेजी, परंतु नुसरत खा किले से आने वाले गोले के कारन मारा गया और हम्मीर देव ने भीमसिंह व् धर्मसिंह के नेतृत्व में तुर्को का सामना करने के लिए सेना भेजी ,जिसमे तुर्को की पराजय हुई और वापस आते वक्त तुर्क सेनापति उलगु खा ने घात लगाकर वॉर करने से भीमसिंह मरा गया
इस हार के कारन अलाउद्दीन खिलजी श्वयम एक विशाल सेना लेकर रणथम्भोर आ गया परंतु एक साल तक दुर्ग की घेराबंदी के बावजूद भी उसको कुछ हासिल नही हुआ तब,अलाउद्दीन खिलजी ने हम्मीर सेनापति "रातिपाल व् रणमल " को प्रलोभन देकर अपनी और कर लिया,जिससे तुर्क सेना किले में आ गयी तब दोनों पक्षों में घमाशान युद्ध हुआ और हम्मीर देव परास्त हो गया।
त था मुहमदसाह व् केबरु हम्मीर की और से लड़ते हुए मारे गए।
त था हम्मीर की रानी "रंगदेवी" त था उसकी पुत्री देवल दे" ने जल जोहर कर लिया,
तथा हम्मीर देव के देशद्रोही सेनापति""रणमल व् रातिपाल"" की अलाउद्दीन खिलजी ने हत्या कर दी, और कहा जो आदमी अपने राजा के प्रति वफादार नही हुए वो मेरे प्रति क्या वफादार होंगे।
11 जुलाई 1301 को अलाउद्दीन खिलजी ने रणथंभोर को अपने अधिकार में ले लिया। त था अलाउद्दीन खिलजी ने उलगु खा को वहाँ का प्रसाशक नियुक्त कर दिया।
तब अमीर खुशरो ने कहा की"""आज कुफ़्र का गढ़ इस्लाम का घर हो गया"""
हम्मीर के बारे में कहा जाता है की वह अपने वचन का पक्का व् तलवार का धनि था। उसके बारे में कहा जाता है की"तितरिया तेल हम्मीर हठ चढे न दूजी बार"
जिसने अपने सरणागतो कि खातिर अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया।।।।
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SUNIL TAAJI
ThankaT
जवाब देंहटाएंMst ha bhai ek ryt
जवाब देंहटाएंDeva de ka vivaran de
जवाब देंहटाएंजय हमीर
जवाब देंहटाएंजय राजपुताना 🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंvery nice information
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