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मंगलवार, 28 नवंबर 2023

famous Fort In rajasthan

                राजस्थान के प्रसिद्द किले 


1.  चित्तौडग़ढ़ किला 

निर्माण - 8 वि सदी मैं चित्रांगद मौर्य द्वारा ,बाद मैं इस किले के अधिकांश भागो का निर्माण कार्य महारणा                     कुम्भा द्वारा कराया गया था | 

जगह - यह किला चित्रकूट पहाड़ी पे चित्तौरगढ़ मे स्थित है 




"इस किले के बारे में एक कहावत हैं -गढ़ तो चित्तौडग़ढ़ बाकि सब गढ़ैया 

स्थापत्य कला -

                    
 1 .  पहला प्रवेश द्वार -पाडनपोल (पटवन पोल )  इस द्वार के बाहर स्थित चबूतरे पर प्रतापगढ़ के ठाकुर बाघसिंह का स्मारक है | 
2 .दूसरा प्रवेश द्वार - भैरवपोल - इसके बाहर जयमल व् कल्ला राठोड की छत्रिया स्तिथ है | 
3 . तीसरा प्रवेश द्वार - गणेश पोल -
4 .चौथा प्रवेश द्वार - लक्ष्मण पोल 
5 . पांचवा प्रवेश द्वार - जोड़न  पोल
6 . छठा प्रवेश द्वार - राम पोल - यहा  पे फ़तेह सिंह सिसोदिया का स्मारक स्तिथ हैं तथा तुलजा माता का मंदिर स्तिथ है | 
7 . सातवा द्वार - त्रिपोलिया द्वार 

-विजयस्तंभ - इसका निर्माण महराणा कुम्भा   द्वारा मालवा के सुल्तान  खिलजी  को हारने पे अपनी जीत के उपलक्ष मे 120 फ़ीट ऊंचा                    नौ मंजिला विजयस्तम्भ बनाया हैं | 
                    इसका वास्तुकार जेता था तथा इसे विष्णुस्तंभ भी कहते है | 

जैन कीर्तिस्तम्भ - इसका निर्माण जीजा जैन द्वारा करवाया गया था , यह सात मंजिला ऊंचा स्तम्भ हैं | 

अन्य निर्माण कला - पद्मिन ी का महल , राणा कुम्भा का महल , कुंभश्याम का मंदिर , शृंगार चवरी ,जयमल की हवेली ,सूर्य मंदिर,  मोकल का  समदेश्वर मंदिर 




चित्तौड़गढ़ दुर्ग के साके --


पहला साका - 1303 मे  यहा  का शासक रतन सिंह था , इसपे दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने आक्रमण कर दिया , तब राजपूतो मे पुरुषो ने केसरिया व् महिलाओ ने रानी पद्मिनी के नेत्र्तव में जोहर किया | 

दूसरा साका - 1534-35   में विक्रमादित्य के समय गुजरात के सुल्तान बाहरदुरशाह ने आक्रमण किया  तब बाघसिंह देवल के नेतृत्व मे राजपूतो ने केसरिया व् रानी कर्मावती  के नेतृत्व मे जोहर किया | 

तीसरा साका - 1567 -68  मे उदयसिंह के समय मे अकबर ने चित्तोड़ पे आक्रमण किया ,तब जयमल फत्ता  के नेतृत्व मे राजपूतो ने केसरिया किया तथा फत्ता सिसोदिया की पत्नी फूलकवर के नेतृत्व मैं रानियों ने जोहर किया | 

2 . कुंभलगढ़ किला -

इस किले का निर्माण महराणा कुंभा द्वारा 1458  मे जरगा पहाड़ियों मैं करवाया गया था | 
- कर्नल जेम्स टॉड  ने इस किले  की तुलना एस्ट्रॉस्कन से की है 
-अबुल फजल ने इस किले के बारे मैं लिखा हैं की यह दुर्ग इतनी बुलंदी पे बना है की निचे से ऊपर की तरफ देखने पर सिर पर रखी हुई पगड़ी गिर जाती हैं 
-इस दुर्ग को मेवाड़ की संकटकालीन राजधानी कहा  जाता था 

-स्थापत्य कला -
               मुख्य प्रवेश द्वार "हल्ला पोल ,आरटे पोल" 
झालीबाव व् मामदेव कुंड , विष्णु का कुम्भस्वामी मंदिर , झाली रानी का मालिया महल 

इस दुर्ग मे एक और दुर्ग है जिसे कटारगढ़ कहते हैं | इस कटारगढ़ मैं 1540 मे राणा प्रताप का जन्म हुआ था 

 


















 

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